त्रिपुरा के मुख्यमंत्री बिप्लब देब के इस्तीफे की कहानी, जेपी नड्डा और अमित शाह से मुलाकात के बाद दिया इस्तीफा
उनका यह इस्तीफा कई लोगों के लिए काफी चौंकाने वाला था क्योंकि भाजपा आलाकमान ने ही उन्हें दिल्ली से त्रिपुरा भेजा था। राज्य की राजनीति और बिप्लब देब के विवादित बयानों के बाद कई बार यह सवाल उठा कि क्या बिप्लब देब को हटाया जा सकता है लेकिन हर बार त्रिपुरा प्रभारी और भाजपा आलाकमान ने इन खबरों को खारिज कर दिया।
ऐसे में बिप्लब देब का अचानक इस्तीफा देना एक चौंकाने वाला घटनाक्रम माना जा रहा है। हालांकि अपने फैसलों से चौंकाना भाजपा का राजनीतिक स्टाइल बन गया है।
आपको बता दें कि बिप्लब के इस्तीफे की पटकथा पिछले 48 घंटों के दौरान दिल्ली में ही लिख दी गई थी, क्योंकि यह बताया जा रहा है अगले वर्ष राज्य में होने वाले विधानसभा चुनाव के मद्देनजर भाजपा आलाकमान इस बार विधायकों की राय से लोकतांत्रिक तरीके से चुने गए व्यक्ति को ही मुख्यमंत्री बनाना चाहती है। मुख्यमंत्री की कार्यशैली को लेकर प्रदेश भाजपा संगठन में काफी नाराजगी थी। कैबिनेट में शामिल कई दिग्गज नेता भी मुख्यमंत्री के व्यवहार को लेकर लगातार शिकायत कर रहे थे।
इस माहौल में भाजपा ने प्रदेश में चेहरे को बदलने का फैसला कर लिया। भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा और गृह मंत्री अमित शाह ने दिल्ली बुलाकर बिप्लब देब को जाने का स्पष्ट संकेत भी दे दिया।
भाजपा राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने 12 मई, गुरुवार को बिप्लब देव से मुलाकात कर पार्टी आलाकमान की राय से अवगत करा दिया। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने भी 13 मई , शुक्रवार को बिप्लब से मुलाकात कर यह साफ कर दिया कि त्रिपुरा को लेकर भाजपा आलाकमान की सोच क्या है ? इसके बाद त्रिपुरा लौटकर बिप्लब देब ने शनिवार को इस्तीफा दे दिया।
आपको बता दें कि, त्रिपुरा में दो दशकों से भी लंबे समय तक सरकार चलाने वाले लेफ्ट फ्रंट को चुनाव हराने की रणनीति के तहत भाजपा ने 2016 में बिप्लब देब को त्रिपुरा भाजपा का प्रदेश अध्यक्ष बना कर अगरतला भेजा। भाजपा आलाकमान की उम्मीदों पर खरा उतरते हुए बिप्लब देब ने भाजपा के अन्य दिग्गज नेताओं और संघ परिवार के विभिन्न संगठनों के सहयोग से 2018 के विधानसभा चुनाव में लेफ्ट फ्रंट के 25 वर्षों के शासन का अंत किया। मार्च 2018 में त्रिपुरा के पहले भाजपाई मुख्यमंत्री के तौर पर बिप्लब देब ने राज्य की कमान संभाली। लेकिन उनके व्यवहार और उनको लेकर आ रही कई तरह की खबरों के बीच भाजपा को यह लगा कि 2023 का विधानसभा चुनाव जीतने के लिए मुख्यमंत्री बदलना जरूरी है और इसके बाद ही उन्हें पद छोड़ने का संकेत दे दिया गया।
आपको बता दें कि, भाजपा ने हाल ही में राज्य संगठन में भी कई तरह के बदलाव किए हैं और यह बताया जा रहा है कि चुनावों के मद्देनजर बिप्लब देब को संगठन में कोई भूमिका दी जा सकती है।
आपको बता दें कि, शनिवार को ही भाजपा विधायक दल की बैठक में नए नेता का चुनाव किया जाएगा। विधायक दल की बैठक में केंद्रीय पर्यवेक्षक के तौर पर शामिल होने के लिए केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र यादव, विनोद तावड़े और त्रिपुरा के प्रभारी विनोद सोनकर भी अगरतला पहुंच गए हैं।
–आईएएनएस
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