मद्रास हाईकोर्ट ने शहरी स्थानीय निकाय चुनावों पर रोक लगाने से किया इनकार
स्वास्थ्य सेवा के सेवानिवृत्त संयुक्त निदेशक डॉ. ए नक्कीरन द्वारा दायर एक जनहित याचिका (पीआईएल) पर सुनवाई करते हुए, अदालत ने चुनाव के संचालन पर रोक लगाने की अनुमति नहीं दी।
वरिष्ठ वकील एस. प्रभाकरन ने डॉ. ए. नक्कीरन का प्रतिनिधित्व करते हुए कहा कि कोविड महामारी की खतरनाक स्थिति को देखते हुए, अभी शहरी स्थानीय निकाय चुनाव कराने की कोई आवश्यकता नहीं है। उन्होंने कहा कि अगर चुनाव में देरी हुई तो कुछ नहीं होगा, क्योंकि ये नगर निकाय पिछले कई सालों से बिना किसी पदाधिकारी के नहीं रहे हैं।
वरिष्ठ वकील ने यह भी कहा कि तमिलनाडु राज्य चुनाव आयोग (टीएनएसईसी) ने चुनाव की तैयारी से पहले महामारी की जमीनी स्थिति का जायजा नहीं लिया है।
उन्होंने यह भी कहा कि टीएनएसईसी को राज्य में बढ़ते कोविड मामलों, मौतों या यहां तक कि नियंत्रण क्षेत्रों (कंटेनमेंट जोन) की संख्या के बारे में पता नहीं है।
एस. प्रभाकरन ने कहा कि राज्य की स्थिति और लोगों के जीवन के लिए खतरे को देखते हुए चुनाव को दो और महीने के लिए टाल दिया जाना चाहिए।
याचिकाओं के एक अन्य समूह का प्रतिनिधित्व करते हुए वरिष्ठ अधिवक्ता एस. आर. एल. सुंदरसन ने कहा कि जब सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव कराने की समय सीमा तय की थी, तब राज्य में महामारी को लेकर स्थिति इतनी खराब नहीं थी।
वरिष्ठ वकील चाहते थे कि जन स्वास्थ्य के हित में चुनावों को स्थगित कर दिया जाए।
टीएनएसईसी का प्रतिनिधित्व करने वाले वरिष्ठ वकील, शिव षणमुगम ने अदालत को सूचित किया कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुसार 27 जनवरी तक चुनाव अधिसूचना जारी की जानी है।
चुनाव आयोग के वकील ने तर्क दिया कि आयोग द्वारा कोविड प्रोटोकॉल पर एक परिपत्र जारी किया गया था और कहा कि ग्रामीण स्थानीय निकाय चुनावों के दौरान पालन की जाने वाली सभी मानक संचालन प्रक्रियाएं शहरी स्थानीय निकाय चुनावों के दौरान भी होंगी।
अदालत ने दलीलें सुनने के बाद मामले को 24 जनवरी तक के लिए स्थगित कर दिया और अंतरिम रोक लगाने से इनकार कर दिया।
— LHK MEDIA
एकेके/आरजेएस