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लाइव हिंदी खबर (हेल्थ कार्नर ) :-  व्रत रखने से न सिर्फ कैलोरी का सेवन रुकता है बल्कि यह ऐसी प्रक्रिया भी है जिससे शरीर के टॉक्सिन दूर होते हैं और दिमाग और शरीर पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है। पाचन क्रिया भी पहले से बेहतर होती है। ऐसे में जरूरी नहीं है कि किसी धार्मिक मौके पर ही व्रत रखा जाए।

Fasting Tips - व्रत करें तो इन बातों का रखें खास ध्यान, सेहत को नहीं होगा नुकसान | Patrika Newsअंदरुनी विषाक्त पदार्थों को निकालने के लिए भी सुविधानुसार व्रत किया जा सकता है। व्रत के बाद भी पौष्टिक और कम फैट वाली चीजें खाने की कोशिश करें, इससे वजन कम होने में सहायता मिलेगी। व्रत के दौरान तकलीफदेह स्थिति से बचने के लिए कुछ आवश्यक पोषक तत्वों को लेना जरूरी होता है।

पाचन तंत्र
व्रत रखने से पाचन तंत्र भी मजबूत होता है। साथ ही भूख भी नियंत्रित हो जाती है। इससे आंतों में भोजन के रस का शोषण करने की क्षमता भी वृद्धि होती है। उपापचयी क्रिया की गति भी संतुलित हो जाती है।

दिमाग भी स्वस्थ
व्रत करने से डिप्रेशन और मस्तिष्क से जुड़ी कई समस्याओं से भी निजात मिलती है। इससे ब्रेन हॉर्मोन जिसे ब्रेन डिराइव्ड न्यूरोटॉफिक फैक्टर बीडीएनएफ भी कहते हैं का स्तर भी बढ़ता है। इसकी कमी से डिप्रेशन और दिमाग से जुड़ी अन्य समस्याओं का सामना करना पड़ता है। दिमाग शांत रहने के साथ ही तनाव में भी कमी आती है। साथ ही नए न्यूरोन्स के विकास और ब्रेन को डैमेज होने से भी बचाता है।

बीमारियों से बचाव
कई शोधों में भी यह साबित हो चुका कि कभी-कभार व्रत रखने से शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है। व्रत रखने से इंसुलिन संवेदनशीलता बढ़ जाती है जिससे डायबिटीज होने का खतरा कम हो जाता है। शरीर के सभी अवयवों में ऊर्जा का संचार भी होता है।

Ro'za foydali bo'ladimi va necha kun ro'za tutishingiz mumkin. Og'irlikni yo'qotish va tanani tozalash uchun qanday ochlik qilish kerak
ऐसे में न करें व्रत
किसी बीमारी से पीडि़त होने पर डॉक्टर की सलाह से ही व्रत रखें।
अपनी शारीरिक क्षमता से अधिक व्रत नहीं रखना चाहिए।
डायबिटीज, गर्भवती महिलाओं आदि को व्रत नहीं रखना चाहिए।
व्रत खोलने के साथ ही भारी आहार नहीं लेना चाहिए।
पेप्टिक अल्सर से पीडि़त लोगों को भी व्रत नहीं करना चाहिए क्योंकि व्रत से पेट में अम्ल निर्माण की प्रक्रिया होने से नुकसान हो सकता है।

वजन कम होना
व्रत रखने से फैट बर्निंग की प्रक्रिया तेज हो जाती है। इससे चर्बी तेजी से गलने लगती है। साथ ही लेप्टिन हॉर्मोन का स्तर कम होने लगता है। फैट सेल्स से स्त्रावित होने वाले इस हॉर्मोन की सक्रियता कम होने से वजन भी कम होने लगता है।

 

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