लाइव हिंदी खबर (विदेश) :- कोरोना वायरस एक ऐसी बीमारी बन गई है जिससे दुनिया का हर देश ग्रसित हैं इस बीमारी के कारण पूरी दुनिया में लाखों लोगों की जान गई है और इसका सबसे ज्यादा व्यापक प्रभाव अमेरिका पर पड़ा है जहां पर कई लाख लोगों की मृत्यु अभी भी हो चुकी है और कई लाख लोग इसे अभी भी संक्रमित पाए गए हैं इसके बावजूद पूरे दुनिया में इस वायरस का वैक्सीन बनाने के लिए वैज्ञानिक जुड़े पड़े हैं लेकिन इसका भी कोई अचूक दवा अभी तक नहीं निकली है इसके अलावा दूसरे लोगों की दवाई इस पर देखकर लोगों पर परीक्षण किया जा रहा है जिसके कुछ सफल परिणाम भी देखने को मिले हैं
जैसे कुछ समय पहले कोरोना के मरीज को हाइड्रोक्सी क्लोरो कोई भी जाते थे जिससे उनकी हालत में कुछ सुधार होती थी इसके अलावा अबकोरोना संक्रमण के इलाज में टीबी वैक्सीन से कुछ राहत की उम्मीदे दिखाई दे रही है। अमेरिका की टैक्सास एएंडएम यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने फैसला किया है कि कोरोना वायरस पर प्रभाव की जांच के अंतिम चरण में आगामी सप्ताह में इंसानों पर टीबी वैक्सीन का परीक्षण किया जाएगा। शोधकर्ताओं ने करीब 1800 अग्रिम पंक्ति के स्वास्थ्य कर्मियों को इस वैक्सीन के इंसानों पर प्रभाव की जांच के लिए स्वयंसेवक के तौर पर आमंत्रित किया है।
शोधकर्ताओं के मुताबिक बीसीजी (बैसिल्यूस कैलमैट-गुअेरिन) के टीके की मदद से इम्यून सिस्टम में वृद्धि कर कोरोना संक्रमण के प्रभाव को रोका जा सकता है। शोधकर्ताओं का कहना है इस टीके के लगने के बाद कोरोना संक्रमण के कारण बहुत कम लोगों के अस्पतालों में भर्ती होने या मरने की संभावना रहती है। यूनिवर्सिटी का कहना है कि बीसीजी को कोरोना वायरस के खिलाफ इस्तेमाल करने के लिए महज छह महीने में पूरी दुनिया में उपलब्ध कराया जा सकता है।
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